अंतर्राष्ट्रीय अहिंशा शांति दिवस पर भाषण कैसे लिखे  हिंदी में 2022 How to write speech on International Day of Nonviolence Peace 2022 in Hindi


gajabkhabar.com › international-non-violence-day

Ahinsa Diwas Essay in Hindi | विश्व अहिंसा दिवस पर निबन्ध

कूच अनमोल वचन अंतर्राष्ट्रीय अहिंशा दिवस पर अनमोल वचन में भाषण 

2004 जनुअरी में ईरानी नोबल पुरुस्कार विजेता शिरीन एबादी ने स्टूडेंट्स को अहिंशा के महत्व बताने के लिए अंतर्राष्ट्रीय अहिंशा दिवस की बात सभी के सामने राखी।  जब यह बात भारत तक पहुंची तब कांग्रेस पार्टी सत्ता पर थी और इसी कारन कांग्रेस अध्यक्ष श्री मति सोनिया गाँधी जी ने यह बात उचित लगी।  समर्थन मिलने  पर भारत के विदेश मंत्री ने इसे संयुक्त रास्ट्र संघ में सामने रखा , जिसके लिए विध्वित  वोटिंग की गई।  इस प्रस्ताव को सामने आने के बाद 191 देशो में से 140 देशो ने इस बात का समर्थन किया।  जिसके बाद 15 /062007  में गाँधी जयंती को अंतर्राष्ट्रीय सत्तर पर अहिंशा दिवस घोसित कर दिया जाया।  तभी से ममेरे देश  में गाँधी जयंती को विश्व सत्तर पर अंतर्राष्ट्रीय अहिंशा  शांति दिवस  मानते है 


अंतर्राष्ट्रीय अहिंशा दिवस International Day of Nonviolence

2 अक्टूबर 1869 को महात्मा गाँधी जी का जन्म हुआ था , वे अहिंशा के परिचायक थे,  भारत की  history में वही एक ऐसे महँ नेता रहे थे जिनोंहे अहिंशा एवं सत्य की ताकत को चरितार्थ का सबके सामने उदहारण पेश किया , इसलिए उनके जनम 

दिन को अहिंशा के दृस्टि के देखा जाता है और अंतर्राष्ट्रीय अहिंशा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 

1  अंतर्राष्ट्रीय दिवस कब मनाया जाता है           2 अक्टूबर 

2 किसकी याद में इसे पुरे भारत में मनाया जाता है       महात्मा गाँधी जी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में  माने जाता है 

3  यह कब से शुरू किया गया        15 जून 2007  को सुरु किया गया 

4 किसके साशन कल में शुरू किया गया         कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी 


सत्य एवं अहिंशा में बहुत बल है इसे ही है काम न होने पर उंगली टेढ़ी करना। अर्थात अहिंशा में हे वो शक्ति है , जो किसी भी काम को करने में तत्पर है   ( मतलब लातो के भूत बातो से न मने तो उन्ह्र लात दिखाना ही पड़ता है , )                            नहीं तो आपका काम नहीं होता है ऐसे लोगो को सीधा करने के लिए ही हमारे महान महात्मा गाँधी जी ने अहिंशा का रास्ता अपनाया था 

हिसात्मक रवैये से इंशान को जित तो हासिल हो जाती है , लेकिन दिल को सन्ति नहीं मिलती और सही जीवन वयापन के लिए आत्मीय शांति बेहद जरुरी होता है।  नहीं तो हमारा दिल हमसे बचें सा रहता है।  घुटन सी होती रहती है। 

इसका एक उदहारण है  सम्राट अशोक जी का जीवन।  जो हमें एक नया सिख देती है जैसे।  = सम्राट अशोक ने कई यूद्ध लड़े, चकर्वर्ती राजा भी बने।  पुरे  भारत पर अपनी विजय का झंडा भी लहराया था लेकिन अंत में उन्हें सुख की प्राप्ति  नहीं हो सकी  और उनोहने अपनी सही दरबार को तयाग दिया और वो  अहिंशा का रास्ता स्वीकार कर लिया और बौद्ध धर्म को धारण किया तब जाकर उन्हें वह सुख की प्राप्ति हुई   जो की उन्हें अपने सही राजकीय दरबार में नहीं मिला रही थी।    

आज कल के व्यक्ति को अहिंशा के बारे में पता ही नहीं है वो अहिंशा के महत्व को नहीं समझ पा  रहे है उनहे लगता है की दादी माँ की कोई कहने है हमें बहलमे के लिए लकिन वो भूल गई सम्राठ अशोक को, महात्मा गाँधी  को जिनोंहे     अहिंशा को अपनाया   आज अहिंसा की कीमत कोई नहीं समझ सकता, इसके महान इतिहास के उदाहरण किसी चलचित्र की कहानी लगते हैं।


गाँधी जी  का जीवन भी सामान्य होता है, लेकिन उनके सामने विपदा से बचने के लिए दोनों तरफ एक हिंसा, एक अहिंसा होती है। उन्हें अहिंसा चुनने दें। माना जाता है कि शांति में शक्ति होती है, कई लोगों ने उनकी बातों का विरोध किया, लेकिन गांधीजी आपके सिद्धांतों से पीछे नहीं हटे। आपके सिद्धांत के कारण वे भगत सिंह, राज गुरु और सुख देव की फांसी को स्वीकार करते हैं, क्योंकि उनके नोटिस में उन्होंने हिंसा का जवाब दिया। उन्होंने अपने जीवनकाल में अहिंसा का मार्ग नहीं छोड़ा, यह उनके दृढ़ इरादे थे जो देश के लोगों को अपने साथ लाए, जिन्होंने गांधीजी के स्वतंत्र भारत के सपने को पूरा किया।

गांधी की विचारधारा (Gandhi's ideology)
गांधी के दर्शन और अहिंसा और अहिंसा की उनकी विचारधारा भगवद गीता और हिंदू धर्म, जैन धर्म और लियो टॉल्स्टॉय के शांतिवादी ईसाई धर्म की शिक्षाओं से प्रभावित हैं। गांधीजी शाकाहारी थे और ब्रह्मचर्य के हिंदू विचार के अनुयायी थे। उन्होंने आध्यात्मिक और व्यावहारिक शुद्धता का अभ्यास किया, कराटे और सप्त पुरुष एक दिन चुप रहे। उनका मानना ​​था कि अपनी वाणी पर लगाम लगाने से उन्हें आंतरिक शांति मिलेगी, जो मौन और शांति के हिंदू सिद्धांत से ली गई है। दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद, गांधी ने पश्चिमी शैली के कपड़े पहनना बंद कर दिया, जो उनकी समृद्धि और सफलता से जुड़े थे। उन्होंने स्वदेशी समलैंगिक कपड़े, खादी का समर्थन किया। उन्होंने और उनके अनुयायियों ने कपास से बने खादी के कपड़े को अपनाया। उन्होंने चरखे से अपना कपड़ा खुद बनाया और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए राजी किया। इस चरखे को बाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के झंडे में शामिल किया गया। गांधी जी ने अपने जीवन साथी के साथ मेरे प्रयोग की कहानी दर्शन के नग्न आदमी और जीवन शैली के नग्न आदमी को सुनाई है।


सत्याग्रही: (Satyagrahis:)


भारत का संविधान, मौलिक अधिकारों के माध्यम से, भारत के सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समानता का अधिकार देता है। यह जाति, धर्म, नस्ल, लिंग या जन्म के आधार पर भेदभाव को रोकता है और संक्रामकता को समाप्त करता है। भारत सत्य और अहिंसा की मान्यताओं का पालन करता है, क्योंकि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था स्वराज की विचारधारा को दर्शाती है। महात्मा गांधी ने इन लोगों की स्थिति में सुधार लाने और उन्हें सामाजिक न्याय प्रदान करने के लिए एक उपकरण के रूप में सत्याग्रह का इस्तेमाल किया, जैसे कि सार्वभौमिक शिक्षा, महिला अधिकार, सांप्रदायिक सद्भाव, गरीबी उन्मूलन, खादी को बढ़ावा देना आदि। गांधीजी ने सात सामाजिक बुराइयों की गणना की, जो इस प्रकार हैं:

कुछ साल पहले गांधी जी के इसी सिद्धांत पर एक फिल्म बनी थी, जिसका नाम था सील रहो मुन्ना भाई। इस फिल्म में विधवा विनोद चोपड़ा के छोटे-छोटे हिस्से हैं। उन्हें देखकर कहा जा सकता है कि अहिंसा में शक्ति थी। मनकी वह फिल्म है लेकिन असाधारण लोगों में भी अगर आप मार देते हैं, तो कई चीजें बिना लड़ाई के हल हो जाती हैं, जैसे कोई व्यक्ति आज किसी व्यक्ति के घर के सामने पानी का मवाद थूकता है, जो हर दिन एक व्यक्ति से लड़ता है, लेकिन कोई नहीं। सुनो, लेकिन जिस दिन वह आदमी बिना लड़े शांति से उस जगह की सफाई करने लगा, थूकने वाले को अपने कामों पर शर्म आ गई और उसने अपनी आदत सुधार ली, जो शांति उसे लड़कर नहीं मिली। पूर्ण


इन दिनों हिंसा बढ़ रही है। किसी को नहीं आना है, ताकि वह अहिंसा से पैदा हो। इसके लिए माता-पिता, स्कूलों, शिक्षकों और फिल्म उद्योग को जागने की जरूरत है क्योंकि यही बात अगली पीढ़ी को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है। साथ ही देश उस साहस को सीखते हैं। हिंसा ने न केवल व्यक्ति बल्कि देश को भी प्रभावित किया।


आज आपसी भाईचारे के कारण राज्यों और देश की सीमाओं की सुरक्षा बर्बाद हो रही है। इतना ही देश के विकास में लगा दिया जाए तो देश में कोई भूखा नहीं रहेगा। हिंसा इस हद तक बढ़ गई है कि देश के भोजन को परमाणु के बजाय परमाणु को अधिक दिया जा रहा है। मुंह खोल भी दें तो क्या यह हिंसा से लड़ने की बात है? ऐसी धरती के आने का क्या संदेश होगा? यही धार है, तो एक ही इस्ती पर मानव का नाश करने से मानव जाति का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।


इसमें अहिंसा दिवस को बड़े पैमाने पर मनाया जाना चाहिए। यह गर्व की बात है कि इस दिन की नींव राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने रखी है।


भारत में, जैन धर्म और बौद्ध धर्म के प्रवर्तक महावीर ने हमेशा सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों के महत्व की सेवा की है। भगवान बुद्ध का जीवन भी अहिंसा लेकिन शांति का उदाहरण है।


ऐसे विदेशियों में मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला और अन्य हैं जो अहिंसा के मार्ग पर हैं।


अहिंसा दिवस अनमोल वचन (अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस हिंदी उद्धरण) 

(International Non Violence day Hindi Quotes)

1 क्रोध और अहंकार अहिंसा के सबसे बड़े शत्रु हैं।
2 अहिंसा कपड़े का टुकड़ा नहीं है, जब चाहो सरल कर लो, यह एक अर्थ है जो मनुष्य के हिरदा में रहता है।
3 अहिंसा एक ऐसा मार्ग है जिसमें कदम कभी नहीं डगमगाते।
4 अहिंसा एक घातक बीमारी है जो बिना रक्तपात के गंभीर चोट पहुंचा सकती है।
5 युद्ध में जाने की समस्या का कोई समाधान नहीं है, शांति की समस्या का कोई समाधान नहीं है।
6 अहिंसा मानसिक व्यवहार नहीं मानसिक विचार है
7 यह ऐसी समस्या नहीं है जिसका समाधान अहिंसा से नहीं हो सकता।
8 आज के युग में अहिंसा बस किताबों के पन्नों में दबी है, यह जरूरत आज सबसे ज्यादा प्रचलित है।
9 जो लोग परमेश्वर को नहीं मानते, वे ही हिंसा के बारे में प्रश्न पूछते हैं।
10 सत्य, अहिंसा के मार्ग पर विजय पाना कठिन है, अंत में आत्मा को समझना और शांति लाना आसान है।
11 कोई कुछ भी बोले स्वयं को शांत रखो, क्योंकि धूप कितनी भी तेज हो समुद्र को नही सुखा सकती।
12 इंसान की संपत्ति ना दौलत है ना धन है
उसकी संपत्ति तो उसका हँसता हुआ परिवार और संतुष्ट मन है।
13 अच्छाई और सच्चाई चाहे पूरी दुनिया में ढूंढ लो अगर खुद में नही है तो कहीं नही मिलेगी
14 सफलता उसी की दासी होती है जिसके पास सब्र होता है और जो मेहनत से नहीं डरता।" - स्वामी दयानंद सरस्वती
15 चाहे धैर्य थकी घोड़ी हो, परंतु फिर भी वह धीरे-धीरे चलेगी अवश्य।
16 ईश्वर की बौद्धिकता परिभाषा नहीं जा सकता। संक्रमण के लिए - डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
17 अहंकार और संस्कार में सबसे बड़ा अंतर यह होता है कि अहंकार दूसरों को झुकाकर प्रसन्न होता है और संस्कार स्वयं झुककर।
18 कभी किसी से नाराज हो जाओ तो दूरी केवल इतनी रखना कि एक कदम, एक मुस्कुराहट,एक प्यार भरी नजर, प्यार भरे दो बोल से संबंध पहले जैसे हो जाएं।
19 अच्छा दिखने के लिये मत जिओ, बल्कि अच्छा बनने के लिए जिओ।
20 जो झुक सकता है वह सारी दुनिया को झुका सकता है।

अहिंसा पर अनमोल वचन आपको अहिंसा का महत्व बताते हैं। 2 अक्टूबर अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस हम सभी अपने भीतर अहिंसा पर विचार करना चाहते हैं ताकि हम बढ़ते उत्पादन को एक सुखी जीवन दे सकें।


BUY NOW