रमजान क्या है 



रमजान एक इस्लामिक माह है जो इस्लाम कैलेंडर के नौवें माह में आता है। यह एक माह का उपवास है जो मुसलमानों द्वारा पूरे दुनिया में मनाया जाता है। इस माह के दौरान मुसलमानों को सवेरे से लेकर रात तक भोजन, पानी या तमाम तरह की चीजों का सेवन नहीं करना पड़ता है। इसके अलावा, रोजा रखने वालों को अपनी जीवनशैली में भी परिवर्तन लाना पड़ता है जो उन्हें अधिक स्वतंत्र बनाता है। रमजान का महीना इस्लामिक कैलेंडर की चांद देखकर शुरू होता है और ईद-उल-फितर नामक पर्व के साथ समाप्त होता है।

क्यू रखा जाता है रोजा

मुसलमान धर्म में रोज़ा रखने का कारण धर्मिक और स्वास्थ्य संबंधी है। रोज़ा रखने से इंसान के शरीर, मन, और आत्मा सभी को फायदा होता है। रोज़ा रखने से पहले सहरी नामक एक भोजन की योजना की जाती है जो सफ़ेद ब्रेड, फल, सब्जी और पानी जैसी खाद्य पदार्थों से मिलकर बनता है। रोज़ा रखने के बाद इफ्तार नामक एक भोजन से रोज़ा तोड़ा जाता है, जो अक्सर दाल, चावल, फल, और मीठे के साथ होता है। रोज़ा रखने से आत्म-निरीक्षण, धैर्य, सब्र, सामर्थ्य, समझदारी और ताकत मिलती है। साथ ही, रोज़ा रखने से शरीर के अंदर अनुभव किये जाने वाले खाने की लालसा कम होती है और आत्म-निर्भरता बढ़ती है।

इफ्तार में खजूर का क्या महत्व होता है

इफ्तार में खजूर का बड़ा महत्व होता है। खजूर रोजा टूटने के वक्त खाया जाने वाला पहला खाना होता है। खजूर में विभिन्न पोषक तत्व जैसे कि फाइबर, पोटैशियम, फोलिक एसिड, विटामिन बी6 और विटामिन ए होते हैं। ये पोषक तत्व शरीर के लिए बहुत लाभकारी होते हैं और इसलिए खजूर इफ्तार का प्रत्येक दिन का अहम हिस्सा होता है।


खजूर में शक्कर की मात्रा भी अधिक होती है, जिससे शरीर को तुरंत ऊर्जा मिलती है। इसलिए इफ्तार के वक्त खजूर खाकर शरीर में तत्परता आती है और शरीर को तुरंत ऊर्जा प्राप्त होती है। अतः इसलिए खजूर इफ्तार में बहुत महत्वपूर्ण होता है।

रमजान कितने दिनों का होता है 

रमजान इस्लामिक कैलेंडर के महीने में होता है और यह 29 या 30 दिनों तक चलता है। यह इस्लामिक कैलेंडर के साथ सम्बंधित होता है जो कि चंद्र ग्रहणों पर आधारित होता है। रमजान में मुसलमान उम्मीदवारों को सुबह सूर्योदय से सुन्नत अल-फज्र नामक नमाज पढ़ने से रोजा शुरू करना होता है और रोजा सूर्यास्त के समय तक रखा जाता है। रमजान का अंत ईद-उल-फितर नामक त्योहार के साथ होता है, जिसे रोजा खत्म होने के दिन मनाया जाता है।

यहां दिया गया लिंक Ramadan 2023 की तिथि के बारे में बताता है जिसका पहला रोजा 23 मार्च को होगा। इस पवित्र महीने में, जब कुरान पैगंबर मुहम्मद को उपदेश दिए जाने का समय था, मुस्लिम लोग सुबह से लेकर शाम तक उपवास करते हैं।


हिंदी में, उपवास का पहला भोज सहरी कहलाता है, जबकि सूर्यास्त के बाद उपवास तोड़ने वाला भोज इफ्तार कहलाता है। सहरी और इफ्तार के समय विभिन्न क्षेत्रों के अनुसार भिन्न हो सकते हैं, इसलिए स्थानीय अनुसूची की जांच करना उचित होगा।


रमजान एक आध्यात्मिक चिंतन, प्रार्थना और दान के लिए समय होता है। इसके साथ ही, यह समय परिवार और दोस्तों के साथ साझा भोजन और समूह भोजन के माध्यम से बंधनों को मजबूत बनाने का भी होता है। आइए रमजान की रूह को गले लगाकर इस पवित्र महीने का अधिक से अधिक लाभ उठाएं।

रमजान मुबारक हो दोस्तों। यह महीना इस्लामिक कैलेंडर का नौवां महीना होता है, जिसके दौरान ईबादत के तमाम रस्मों को माना जाता है। इस महीने में मुसलमानों को रोज़े रखने की तल्लीम दी गई है, जिसमें उन्हें सुबह से मगरिब तक भोजन, पानी और अन्य भोजन से रोका जाता है।


इस महीने में ईबादत का माहौल निहायत ही ख़ास होता है। मुसलमान लोग सेहरी और इफ्तार के समय जमा होकर खाने पीने का इस तरह से मज़ा लेते हैं जैसे इन चीजों को बहुत लम्बे समय से इंतज़ार कर रहे हों। इस महीने में ईबादत, दान और नेक कामों के जरिए अधिक से अधिक आज़माइशें की जाती है जो हमें अपनी ज़िन्दगी में एक अच्छी इंसान बनने की ताकत देती हैं।


रमजान के महीने में सैर-सपाटा करना, ख़ुशी से मिलना और आपस में खुशियां बाँटना भी मुसलमानों की एक अहम परंपरा है। इस महीने को ख़ुशी और ख़ुशियों के लिए होने वाली मिठास के लिए भी जाना जाता है।