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छोटी सी लकड़ी || kids morel story's

छोटी सी लकड़ी || kids morel story's


एक बार की बात है, एक छोटी सी लकड़ी थी जो एक जंगल में रहती थी। वह एक बहुत ही सुंदर लकड़ी थी, लेकिन वह बहुत ही अकेली थी। वह हमेशा बाकी पेड़ों के साथ खेलना चाहती थी, लेकिन वे उसे नहीं खेलने देती थीं।



एक दिन, छोटी सी लकड़ी एक बड़ी नदी के पास पहुँची। वह नदी के किनारे बैठी और नदी को देखती रही। उसने देखा कि नदी कितनी बड़ी और शक्तिशाली है। वह नदी में तैरने की इच्छा रखती थी, लेकिन वह डर गई थी। वह नहीं जानती थी कि वह तैरना जानती है या नहीं।


तभी, एक छोटी सी मछली पास से तैरती हुई आई। मछली ने छोटी सी लकड़ी को देखा और कहा, "तुम बहुत सुंदर हो। तुम क्यों अकेली बैठी हो?"


छोटी सी लकड़ी ने कहा, "मैं अकेली इसलिए बैठी हूँ क्योंकि बाकी पेड़ मुझे खेलने नहीं देते। वे कहते हैं कि मैं बहुत छोटी हूँ।"


मछली ने कहा, "तुम बहुत छोटी नहीं हो। तुम एक सुंदर और शक्तिशाली लकड़ी हो। तुम नदी में तैर सकती हो।"


छोटी सी लकड़ी ने कहा, "लेकिन मैं तैरना नहीं जानती।"


मछली ने कहा, "मैं तुम्हें तैरना सिखाऊँगी।"


और फिर, मछली ने छोटी सी लकड़ी को तैरना सिखाना शुरू कर दिया। छोटी सी लकड़ी जल्दी ही तैरना सीख गई। वह बहुत खुश थी।


वह नदी में तैरने लगी। वह बहुत मज़ा कर रही थी। वह नदी के किनारे के पेड़ों को देख रही थी। वह नदी के नीचे की मछलियों को देख रही थी।


उसने देखा कि बाकी पेड़ उसे देख रहे हैं। वे बहुत खुश थे। उन्होंने छोटी सी लकड़ी को अपनी दोस्त के रूप में स्वीकार कर लिया।


छोटी सी लकड़ी अब अकेली नहीं थी। उसके पास बहुत सारे दोस्त थे। वह बहुत खुश थी।


**शिक्षा:** कभी भी अपने आप को कम मत समझो। तुम जो भी करना चाहो, कर सकती हो। बस अपने सपनों का पीछा करो और कभी हार मत मानो।

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