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अंडीज में चमत्कार: 72 दिनों तक जीवित रहने की कहानी

अंडीज में चमत्कार: 72 दिनों तक जीवित रहने की कहानी

 नमस्ते दोस्तों!

12 अक्टूबर, 1972 को, उरुग्वे से एक छोटा चार्टर्ड विमान चिली की राजधानी सैंटियागो जा रहा था। विमान में 45 यात्री थे, जिनमें कुछ रग्बी खिलाड़ी और उनके परिवार और दोस्त शामिल थे।

यह उड़ान लंबी नहीं होने वाली थी, लेकिन रास्ते में विशाल एंडीज़ पर्वत श्रृंखला आती है। एंडीज़ पर्वत श्रृंखला दक्षिण अमेरिका में स्थित दुनिया की सबसे लंबी पर्वत श्रृंखला है। हिमालय के अलावा, सबसे ऊंचे पहाड़ यहीं पाए जाते हैं।

12 अक्टूबर को, पहाड़ों में तूफान आया था, इसलिए विमान को उड़ान नहीं भरने दी गई। पायलटों ने फैसला किया कि वे रात के लिए अर्जेंटीना के मेंडोज़ा में रुकेंगे और अगले दिन फिर से उड़ान भरने का प्रयास करेंगे।

13 अक्टूबर को, मौसम साफ होने के बाद, विमान ने दोपहर 2:18 बजे उड़ान भरी। अगले घंटे के लिए उड़ान सुचारू रही। दोपहर 3:21 बजे, पायलट विमान को उतरने के लिए तैयार करने लगे।

विमान सैंटियागो के काफी करीब था, लेकिन अभी भी पहाड़ों में था। अचानक, विमान में भयानक उथल-पुथल मच गई। विमान क्षैतिज रूप से हिलने लगा और बादल इकट्ठा हो गए। विमान में अलार्म बजने लगे और चेतावनी बत्तियाँ चमकने लगीं।

यात्री डरे हुए नहीं थे और उन्होंने इस अशांति को गंभीरता से नहीं लिया। एक यात्री ने खिड़की से बाहर देखा और बादलों को साफ होते देखा, लेकिन तभी उसने देखा कि वे खतरनाक रूप से एक पहाड़ के करीब थे।

पायलटों को एहसास हुआ कि वे एक विशाल चट्टान की ओर बढ़ रहे थे। वे तुरंत विमान को ऊपर उठाने की कोशिश करने लगे, लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। विमान का पिछला हिस्सा पहाड़ से टकरा गया और विमान का पिछला पूरा हिस्सा अलग हो गया। तीन यात्री विमान से उड़कर गायब हो गए।

विमान कुछ और सेकंड तक ऊपर की ओर उड़ता रहा, लेकिन फिर नीचे गिरने लगा। एक और टक्कर हुई और विमान का बायां पंख टूट गया। कुछ और यात्री विमान से उड़कर नीचे गिर गए।

अब विमान का सिर्फ अगला हिस्सा ही बचा था और वह एक ग्लेशियर में गिर गया। यह 350 किमी/घंटा की रफ्तार से ग्लेशियर से नीचे फिसला और एक बर्फ के दर्रे में जाकर रुक गया।

दुर्घटना में 29 यात्रियों की मौत हो गई। 16 यात्री जीवित बच गए, लेकिन वे 72 दिनों तक बर्फीले पहाड़ों में फंसे रहे। उन्हें भोजन और पानी की कमी का सामना करना पड़ा और उन्हें अपने साथियों के शवों को खाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

अंततः, जीवित बचे लोगों को एक चिलीई शिकारी ने खोज लिया और उन्हें बचाया गया। यह एक अविश्वसनीय कहानी है जो साहस, संघर्ष और जीवित रहने की इच्छा की शक्ति को दर्शाती है।

यहां कुछ अतिरिक्त जानकारी दी गई है जो आपके लेख में शामिल कर सकते हैं:

  • विमान में सवार रग्बी खिलाड़ी उरुग्वे की ओल्ड क्रिश्चियन क्लब टीम के सदस्य थे। वे चिली में एक दोस्ताना मैच के लिए जा रहे थे।
  • दुर्घटना के बाद, जीवित बचे लोगों ने एक बचाव शिविर बनाया। उन्होंने एक छोटे से तंबू में आग जलाकर खुद को गर्म रखा और बर्फ से बर्फ के ब्लॉक काटकर भोजन बनाया।
  • जीवित बचे लोगों में से एक, पेड्रो वाल्डेज़, ने एक किताब लिखी, "अंडरसीज़न: अ मैराथन ऑफ द सोल," जिसमें उन्होंने अपनी कहानी साझा की।

मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।

अंडीज में 72 दिन: जीवित बचे लोगों की कहानी

दुर्घटना के बाद

13 अक्टूबर, 1972 को, उरुग्वे से एक छोटा चार्टर्ड विमान चिली की राजधानी सैंटियागो जा रहा था। विमान में 45 यात्री थे, जिनमें कुछ रग्बी खिलाड़ी और उनके परिवार और दोस्त शामिल थे।

विमान दुर्घटना के बाद, जीवित बचे लोगों ने एक बचाव शिविर बनाया। उन्होंने एक छोटे से तंबू में आग जलाकर खुद को गर्म रखा और बर्फ से बर्फ के ब्लॉक काटकर भोजन बनाया।

पहली रात ठंडी और अंधेरी थी। जीवित बचे लोगों को अपने साथियों की मौत के बारे में सोचकर बहुत दुख हुआ। वे भी बहुत कमजोर और थके हुए थे।

जीवित बचे लोगों के लिए संघर्ष

जीवित बचे लोगों को अगले 72 दिनों तक बर्फीले पहाड़ों में जीवित रहने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी। उन्हें भोजन, पानी और आश्रय की तलाश में जाना पड़ा।

उन्होंने बर्फ से बर्फ के ब्लॉक काटकर भोजन बनाया। उन्होंने बर्फ से पानी पिलाया। और उन्होंने चट्टानों और पेड़ों से आश्रय बनाया।

जीवित बचे लोगों के लिए आशा

जीवित बचे लोगों को पता था कि उन्हें जल्द ही बचाया जाना चाहिए। उन्होंने हर दिन बचाव टीमों की तलाश में उड़ते हुए विमानों और हेलीकॉप्टरों को देखा।

उन्होंने एक संकेत बनाने के लिए एक बड़े क्रॉस को बर्फ से बनाया। उन्होंने चिली के राष्ट्रीय ध्वज को भी बनाया।

जीवित बचे लोगों को बचाया गया

अंततः, 23 दिसंबर, 1972 को, एक चिलीई शिकारी ने जीवित बचे लोगों को खोज लिया। उन्होंने तुरंत बचाव टीमों को बुलाया।

बचाव टीमों ने जीवित बचे लोगों को बचाया और उन्हें अस्पताल ले गया। जीवित बचे लोग इस बात से आभारी थे कि वे जीवित हैं।

निष्कर्ष

1972 की एंडीज दुर्घटना एक दर्दनाक घटना थी, लेकिन यह एक प्रेरणादायक कहानी भी है। यह साहस, संघर्ष और जीवित रहने की इच्छा की शक्ति को दर्शाता है।

यह कहानी हमें याद दिलाती है कि हम कभी भी हार नहीं माननी चाहिए, चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो।

दुर्घटना के बाद की घटनाओं का विवरण

14 अक्टूबर को, जीवित बचे लोगों ने एक रेडियो प्रसारण भेजा, जिसमें उन्होंने अपने स्थान का उल्लेख किया।

बचाव सेवा ने रेडियो प्रसारण प्राप्त किया, लेकिन दुर्भाग्य से, उन्हें अभी भी जीवित बचे लोगों को नहीं मिल सका।

15 अक्टूबर को, जीवित बचे लोगों ने एक बर्फीले पर्वत पर चढ़ाई की, ताकि वे एक ऊंचे स्थान से मदद के लिए संकेत भेज सकें।

उन्होंने एक विशाल क्रॉस बनाया और उसे बर्फ पर रखा। उन्होंने चिली के राष्ट्रीय ध्वज को भी फहराया।

23 दिसंबर को, एक चिलीई शिकारी ने जीवित बचे लोगों को खोज लिया। उन्होंने तुरंत बचाव टीमों को बुलाया।

बचाव टीमों ने जीवित बचे लोगों को बचाया और उन्हें अस्पताल ले गया। जीवित बचे लोग इस बात से आभारी थे कि वे जीवित हैं।

निष्कर्ष

यह कहानी साहस, संघर्ष और जीवित रहने की इच्छा की शक्ति को दर्शाती है। यह हमें याद दिलाती है कि हम कभी भी हार नहीं माननी चाहिए, चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो।

अतिरिक्त जानकारी

  • जीवित बचे लोगों में से एक, पेड्रो वाल्डेज़, ने एक किताब लिखी, "अंडरसीज़न: अ मैराथन ऑफ द सोल," जिसमें उन्होंने अपनी कहानी साझा की।
  • इस दुर्घटना पर कई फिल्में और टीवी शो बन चुके हैं।
  • इस दुर्घटना को "अंडीज के चमत्कार" के रूप में जाना जाता है।

दुर्घटना के कुछ दिन बाद

दुर्घटना के कुछ दिन बाद, जीवित बचे लोगों ने महसूस किया कि वे भूखे मर रहे हैं। उनके पास बहुत कम भोजन था और वे इसे बहुत जल्दी खा रहे थे। वे जानते थे कि अगर वे जल्द ही कुछ नहीं करते हैं, तो वे भूख से मर जाएंगे।

एक दिन, फर्नांडो पाराडो ने एक योजना बनाई। उसने सोचा कि वह एक टीम बनाएगा और पहाड़ों पर चढ़ेगा और मदद के लिए चिल्लाएगा। उसने सोचा कि अगर वे किसी को देख सकते हैं, तो वे उन्हें बचा सकते हैं।

उसकी योजना को सुनकर, कुछ लोग डर गए। उन्होंने सोचा कि यह बहुत खतरनाक है। वे इतने ऊंचे पर्वतों पर चढ़ने में सक्षम नहीं होंगे।

लेकिन पाराडो दृढ़ था। उसने कहा कि उन्हें ऐसा करना होगा या वे सभी मर जाएंगे।

अंततः, पाराडो की योजना को स्वीकार कर लिया गया। उसने एक टीम बनाई और वे पहाड़ों पर चढ़ने के लिए तैयार हो गए।

दुर्घटना के 16 दिन बाद, पाराडो और चार अन्य जीवित बचे लोग पहाड़ों पर चढ़ने के लिए निकल पड़े। यह एक कठिन चढ़ाई थी। वे बर्फ और बर्फ से ढके पहाड़ों पर चढ़ रहे थे। वे बहुत थके हुए और भूखे थे।

लेकिन वे नहीं रुके। वे जानते थे कि उन्हें आगे बढ़ना होगा अगर वे जीवित रहना चाहते थे।

अंततः, वे 700 मीटर की ऊंचाई तक चढ़ गए। वहाँ, उन्होंने एक बर्फीले पठार पर एक छोटा सा चट्टान का टुकड़ा देखा। उन्होंने उस चट्टान के ऊपर चढ़ने का फैसला किया।

वे उस चट्टान पर चढ़ गए और उन्होंने मदद के लिए चिल्लाना शुरू कर दिया। वे कई घंटे तक चिल्लाते रहे।

अंततः, एक चिलीई शिकारी ने उन्हें सुना। शिकारी ने देखा कि कुछ लोग चट्टान पर चिल्ला रहे हैं। उसने तुरंत बचाव टीम को बुलाया।

बचाव टीम जल्द ही मौके पर पहुंच गई। उन्होंने जीवित बचे लोगों को बचाया और उन्हें अस्पताल ले गए।

जीवित बचे लोग पूरी तरह से थके हुए और बीमार थे। लेकिन वे खुश थे कि वे जीवित हैं।

उनका अनुभव एक अविश्वसनीय कहानी है साहस, संघर्ष और जीवित रहने की इच्छा की शक्ति का।

निष्कर्ष

1972 की एंडीज दुर्घटना एक दर्दनाक घटना थी, लेकिन यह एक प्रेरणादायक कहानी भी है। यह साहस, संघर्ष और जीवित रहने की इच्छा की शक्ति को दर्शाता है।

यह कहानी हमें याद दिलाती है कि हम कभी भी हार नहीं माननी चाहिए, चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो।

यहाँ कुछ महत्वपूर्ण सबक दिए गए हैं जो हम इस कहानी से सीख सकते हैं:

  • जीवित रहने के लिए, आपको एक योजना बनानी होगी और उस पर दृढ़ रहना होगा।
  • आपको दूसरों की मदद के लिए भी तैयार रहना चाहिए।
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  • आपको कभी हार नहीं माननी चाहिए, चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो।


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