
दिल्ली की जहरीली सर्दियां: पराली जलाने का प्रभाव और समाधान
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सर्दियों में बढ़ता प्रदूषण
सर्दियों की शुरुआत के साथ ही दिल्ली की वायु गुणवत्ता तेजी से गिरने लगती है। इसके कई कारण होते हैं, जिनमें से एक मुख्य कारण हरियाणा और पंजाब में खेतों में पराली जलाने की प्रथा है। हालांकि, पराली जलाना पूरे सर्दियों के दौरान प्रदूषण का मुख्य स्रोत नहीं है, लेकिन यह एक गंभीर समस्या के रूप में उभरता है। केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत एक हलफनामे के अनुसार, सर्दियों में पराली जलाने से दिल्ली के प्रदूषण में 4% और गर्मियों में 7% का योगदान होता है। हालांकि, कुछ अन्य आंकड़े बताते हैं कि पराली जलाने से पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर में 35-40% तक की वृद्धि हो सकती है।
वायु गुणवत्ता पर प्रभाव
सर्दियों में दिल्ली और उसके आसपास के शहरों जैसे नोएडा, गुड़गांव, फरीदाबाद और गाजियाबाद में वायु प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा सुझाई गई सुरक्षित सीमा से 30-35 गुना अधिक हो जाता है। इसके पीछे कई कारण हैं जैसे तापमान में गिरावट, धुआं, धूल, धीमी हवाएं, वाहनों से उत्सर्जन और पराली जलाने की घटनाएं।
पराली जलाने से दिल्ली में पीएम 2.5 के स्तर में बढ़ोतरी होती है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है। ये महीन कण फेफड़ों में गहराई तक पहुंच सकते हैं और रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे अस्थमा, हृदय रोग और श्वसन समस्याएं बढ़ सकती हैं।
स्वास्थ्य पर असर
वायु प्रदूषण के कारण दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों पर गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव पड़ते हैं। कमजोर वर्ग जैसे हृदय या फेफड़ों की समस्याओं से ग्रसित लोग, बुजुर्ग और बच्चे इससे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। पीएम 2.5 जैसे सूक्ष्म कण श्वसन तंत्र को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे सांस लेने में कठिनाई, खांसी और अन्य श्वसन संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
समाधान और उपाय
पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए किसानों को वैकल्पिक उपाय प्रदान करना आवश्यक है। उदाहरण के लिए, 'हैप्पी सीडर' जैसी मशीनों के लिए सब्सिडी देना, जिससे खेतों में फसल अवशेष जलाए बिना अगली फसल लगाई जा सके। इसके अलावा, सरकारों को सख्त कानूनों का पालन सुनिश्चित करना चाहिए और जागरूकता अभियानों के माध्यम से लोगों को प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों के बारे में जानकारी देनी चाहिए।
दीर्घकालिक समाधान के लिए, राज्य और केंद्र सरकारों के बीच सहयोग बढ़ाना जरूरी है ताकि किसानों को पराली जलाने के बेहतर विकल्प उपलब्ध कराए जा सकें और वायु प्रदूषण को नियंत्रि किया जा सकता है
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