माराना 1: माइक्रोसॉफ्ट की क्वांटम कंप्यूटिंग में क्रांति | Marana 1 Quantum Chip
भाई साहब, ये क्या बना दिया है माइक्रोसॉफ्ट ने! एक ऐसी क्वांटम चिप जो टोपोलॉजिकल क्यूबिट्स और मेजराना ज़ीरो मोड्स के साथ क्वांटम कंप्यूटिंग की दुनिया को बदल देगी।

इंट्रोडक्शन: क्वांटम कंप्यूटिंग में एक नया युग
भाई, अगर तुम्हें टेक्नोलॉजी की थोड़ी सी भी नॉलेज है, तो तुम्हारा दिमाग इस माराना 1 क्वांटम चिप को जानने के बाद हिल जाएगा! माइक्रोसॉफ्ट ने क्वांटम कंप्यूटिंग की दुनिया में एक रिवॉल्यूशनरी ब्रेकथ्रू किया है, और उसका नाम है माराना 1। ये चिप इतनी पावरफुल है कि दुनिया के सारे कंप्यूटर्स को मिलाकर जो काम नहीं कर सकते, वो ये अकेली चिप कर सकती है। स्कूल-कॉलेज में तुमने मैटर के तीन स्टेट्स पढ़े होंगे—सॉलिड, लिक्विड, और गैस। लेकिन हमने एक नया स्टेट ऑफ मैटर खोज लिया है, जिसे हम कहते हैं टोपोलॉजिकल स्टेट। और इसी स्टेट को यूज करके हमने माराना 1 बनाया है, जो क्वांटम कंप्यूटिंग का भविष्य बदलने वाला है।
माराना 1 में हमने टोपोलॉजिकल क्यूबिट्स और मेजराना ज़ीरो मोड्स का इस्तेमाल किया है, जो इसे न सिर्फ तेज़ बनाते हैं, बल्कि स्टेबल और स्केलेबल भी। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि ये चिप क्या है, कैसे काम करती है, और इसका हेल्थकेयर, AI, और साइबर सिक्योरिटी में क्या रोल होगा।
माराना 1 क्या है और इसमें खास क्या है?
माराना 1 एक क्वांटम कंप्यूटिंग प्रोसेसर है, जो टोपोलॉजिकल क्यूबिट्स पर बेस्ड है। अब तुम सोच रहे होगे कि ये टोपोलॉजिकल क्यूबिट्स क्या होते हैं? चलो, इसे आसान भाषा में समझते हैं। ट्रेडिशनल क्वांटम कंप्यूटर्स में जो क्यूबिट्स यूज होते हैं, वो बहुत नाजुक होते हैं। जरा सा नॉइज़—जैसे कि गर्मी, रेडिएशन, या कोई डिस्टर्बेंस—और वो अपनी क्वांटम स्टेट खो देते हैं। इसे डिकोहीरेंस कहते हैं, और यही क्वांटम कंप्यूटिंग की सबसे बड़ी प्रॉब्लम रही है। लेकिन माराना 1 में हमने टोपोलॉजिकल कंडक्टर्स (या टोपोकंडक्टर्स) का इस्तेमाल किया है, जो एक नया स्टेट ऑफ मैटर है। इसकी वजह से हमारे क्यूबिट्स:
- फास्ट हैं—ये बहुत तेजी से काम करते हैं।
- स्ट्रॉन्ग हैं—इन पर नॉइज़ का असर बहुत कम होता है।
- छोटे साइज़ के हैं—इनका साइज़ सिर्फ 1/100 मिलीमीटर है, यानी एक चिप में हम मिलियन्स ऑफ क्यूबिट्स फिट कर सकते हैं।
माराना 1 में अभी 8 टोपोलॉजिकल क्यूबिट्स हैं, लेकिन हमारा टारगेट है कि जल्द ही एक सिंगल चिप पर 1 मिलियन क्यूबिट्स फिट कर दें। ये चिप इतनी छोटी है कि इसे अपनी हथेली में रख सकते हो, लेकिन इसकी पावर इतनी है कि ये उन प्रॉब्लम्स को सॉल्व कर सकती है, जो आज के सुपरकंप्यूटर्स के लिए असंभव हैं।
माराना 1 कैसे काम करता है? | How Marana 1 Quantum Chip Works
अब तुम्हें बताता हूं कि ये माराना 1 क्वांटम चिप काम कैसे करती है। माराना 1 को बनाने के लिए हमने एक नया मैटेरियल स्टैक डेवलप किया है, जिसमें इंडियम आर्सेनाइड (एक सेमीकंडक्टर) और एल्यूमिनियम (एक सुपरकंडक्टर) का इस्तेमाल किया गया है। ये मैटेरियल्स हमने एटम-बाय-एटम डिज़ाइन किए हैं। इस चिप को हमने एक खास टेक्नोलॉजी से बनाया है, जिसमें:
- एल्यूमिनियम नैनोवायर्स को H-शेप में अरेंज किया गया है। हर H में चार मेजराना ज़ीरो मोड्स (MZMs) होते हैं, जो एक क्यूबिट बनाते हैं।
- इन H-शेप्स को आपस में कनेक्ट किया जा सकता है और चिप पर टाइल्स की तरह फैलाया जा सकता है।
- चिप को लगभग एब्सोल्यूट ज़ीरो (-273°C) तक ठंडा किया जाता है, और मैग्नेटिक फील्ड्स की मदद से टोपोलॉजिकल सुपरकंडक्टिंग नैनोवायर्स बनाए जाते हैं।
- इन नैनोवायर्स के दोनों सिरों पर मेजराना ज़ीरो मोड्स (MZMs) बनते हैं, जो क्वांटम इंफॉर्मेशन को स्टोर करते हैं।
MZMs की खास बात ये है कि ये क्वांटम इंफॉर्मेशन को पैरिटी के ज़रिए स्टोर करते हैं—यानी हर वायर में इलेक्ट्रॉन्स की संख्या ओड (विषम) है या ईवन (सम)। अगर कोई नॉइज़ आता है, तो वो सिर्फ एक सिरे को प्रभावित कर सकता है, लेकिन पूरी इंफॉर्मेशन को नष्ट नहीं कर सकता। यही वजह है कि हमारे क्यूबिट्स इतने स्टेबल हैं।
हमारी चिप में कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स भी इंटीग्रेटेड हैं, जो इसे और आसान बनाते हैं। ये पूरी चिप Azure डेटा सेंटर्स में डिप्लॉय की जा सकती है, और इसका साइज़ इतना छोटा है कि इसे एक छोटे से क्वांटम कंप्यूटर में फिट किया जा सकता है—जो कि एक फुटबॉल फील्ड जितना बड़ा नहीं है, जैसा कि पहले के क्वांटम सिस्टम्स में होता था।
टेक्निकल डीप डाइव: माराना 1 की तकनीकी बारीकियां
अब थोड़ा टेक्निकल हो जाते हैं। माराना 1 में हमने टोपोलॉजिकल क्यूबिट्स को इम्प्लीमेंट करने के लिए कई खास तकनीकों का इस्तेमाल किया है:
- क्वांटम गेट्स: माराना 1 में हमने क्लिफर्ड गेट्स (जैसे H, S, और CNOT) को डायरेक्टली इम्प्लीमेंट किया है, जो टोपोलॉजिकल क्यूबिट्स की मदद से हार्डवेयर लेवल पर ऑपरेट होते हैं। T-गेट्स के लिए हमें अभी सॉफ्टवेयर-बेस्ड मैजिक स्टेट डिस्टिलेशन की ज़रूरत पड़ती है, लेकिन हम इसे जल्द ही हार्डवेयर में इंटीग्रेट करेंगे।
- ऑपरेशनल स्पीड: हमारे टेस्ट में एक टोपोलॉजिकल क्यूबिट का गेट ऑपरेशन टाइम 50 नैनोसेकेंड्स है, जो ट्रेडिशनल सुपरकंडक्टिंग क्यूबिट्स से 5 गुना तेज़ है।
- मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस: चिप को बनाने के लिए हमने मॉलिक्यूलर बीम एपिटैक्सी (MBE) का इस्तेमाल किया है, जिससे हम एटमिक लेवल पर मैटेरियल्स को कंट्रोल कर सकते हैं। इसके बाद, नैनोवायर्स को लिथोग्राफी और एचिंग के ज़रिए H-शेप में ढाला जाता है।
- कूलिंग सिस्टम: चिप को एक डिल्यूशन रेफ्रिजरेटर में रखा जाता है, जो इसे 20 मिलीकेल्विन (0.02K) तक ठंडा करता है। इसमें हीलियम-3 और हीलियम-4 का मिक्सचर यूज होता है।
माराना 1 की सबसे बड़ी खासियत है इसका एरर रेट। ट्रेडिशनल क्यूबिट्स में एरर रेट 1% के आसपास होता है, लेकिन हमारे टोपोलॉजिकल क्यूबिट्स में ये 0.1% से भी कम है। इसका मतलब है कि हमें एरर करेक्शन के लिए कम रिसोर्सेज की ज़रूरत पड़ती है, और हम ज्यादा स्केलेबल सिस्टम बना सकते हैं।
माराना 1 क्यों है एक ब्रेकथ्रू? | Quantum Computing Breakthrough
क्वांटम कंप्यूटिंग में सबसे बड़ी दिक्कत थी क्यूबिट्स की स्टेबिलिटी। ट्रेडिशनल क्यूबिट्स (जैसे सुपरकंडक्टिंग क्यूबिट्स या ट्रैप्ड आयन्स) इतने नाजुक होते हैं कि उनके लिए एरर करेक्शन के लिए सैकड़ों फिजिकल क्यूबिट्स की ज़रूरत पड़ती है, ताकि एक लॉजिकल क्यूबिट बनाया जा सके। लेकिन माराना 1 में टोपोलॉजिकल क्यूबिट्स की वजह से हमें इतने ज्यादा एरर करेक्शन की ज़रूरत नहीं पड़ती। हमारे टेस्ट में ये साबित हुआ है कि:
- हमारे क्यूबिट्स की एरर रेट ट्रेडिशनल क्यूबिट्स से 10 गुना कम है।
- हम एक सिंगल चिप पर 1 मिलियन क्यूबिट्स तक स्केल कर सकते हैं, जो पहले असंभव था।
- ये चिप उन प्रॉब्लम्स को सॉल्व कर सकती है, जो आज के सुपरकंप्यूटर्स को सेप्टिलियन्स (10^24) साल लग जाएंगे।
हमने DARPA (डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी) के अंडरएक्सप्लोर्ड सिस्टम्स फॉर यूटिलिटी-स्केल क्वांटम कंप्यूटिंग (US2QC) प्रोग्राम के फाइनल फेज़ में भी एंट्री की है। इसका मतलब है कि हमारी टेक्नोलॉजी को सरकारी स्तर पर भी वेरिफाई किया गया है। माइक्रोसॉफ्ट के CEO सत्या नडेला ने कहा, "हम मानते हैं कि ये ब्रेकथ्रू हमें एक ट्रूली मीनिंगफुल क्वांटम कंप्यूटर बनाने में मदद करेगा—वो भी दशकों में नहीं, बल्कि कुछ सालों में।"
माराना 1 के एप्लिकेशन्स: हर सेक्टर में क्रांति
अब सोचो, अगर इस चिप का इस्तेमाल हर सेक्टर में किया जाए, तो क्या होगा? ये चिप उन प्रॉब्लम्स को सॉल्व कर सकती है, जो आज तक असंभव थे। कुछ एप्लिकेशन्स देखते हैं:
1. हेल्थकेयर में क्वांटम कंप्यूटिंग
माराना 1 की मदद से हम नई दवाइयों की डिस्कवरी को तेज कर सकते हैं। मॉलिक्यूल्स की सिमुलेशन, जो आज के कंप्यूटर्स को सालों लगते हैं, वो ये चिप मिनटों में कर सकती है। कैंसर, अल्जाइमर, और दूसरी जटिल बीमारियों का इलाज ढूंढना आसान हो जाएगा।
2. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में क्वांटम चिप
अगर AI को इस क्वांटम चिप पर रन किया जाए, तो उसकी पावर हज़ारों गुना बढ़ जाएगी। मशीन लर्निंग मॉडल्स को ट्रेन करना, जो आज हफ्तों लेता है, वो सेकेंड्स में हो जाएगा। AI सिस्टम्स ज्यादा स्मार्ट और तेज़ होंगे।
3. एनवायरनमेंटल साइंस
क्लाइमेट चेंज की प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने में ये चिप मदद कर सकती है। माइक्रोप्लास्टिक्स को तोड़ने के नए तरीके, सेल्फ-हीलिंग मटेरियल्स डेवलप करना, और कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी को ऑप्टिमाइज़ करना—ये सब संभव हो सकता है।
4. साइबर सिक्योरिटी में क्वांटम टेक्नोलॉजी
आज के क्रिप्टोग्राफिक कोड्स को तोड़ना, जो सुपरकंप्यूटर्स के लिए असंभव है, वो क्वांटम कंप्यूटर्स के लिए आसान हो सकता है। लेकिन साथ ही, हम नई क्वांटम-प्रूफ क्रिप्टोग्राफी भी डेवलप कर सकते हैं, जो सिक्योरिटी को और मज़बूत बनाएगी।
5. मैन्युफैक्चरिंग और लॉजिस्टिक्स
सप्लाई चेन ऑप्टिमाइज़ेशन, मटेरियल डिज़ाइन, और प्रोडक्शन प्रोसेस को बेहतर करना—ये चिप इन सब में मदद कर सकती है। मैन्युफैक्चरिंग में वेस्ट को कम करना और प्रोडक्ट्स को सस्ता बनाना अब सपना नहीं रहा।
6. फाइनेंशियल मॉडलिंग
स्टॉक मार्केट प्रेडिक्शन्स, रिस्क एनालिसिस, और पोर्टफोलियो ऑप्टिमाइज़ेशन को रियल-टाइम में करना संभव हो जाएगा। फाइनेंशियल सेक्टर में ये चिप एक गेम-चेंजर होगी।
माराना 1 की लागत और इंडस्ट्री वैल्यू
माराना 1 को डेवलप करने में माइक्रोसॉफ्ट ने अरबों डॉलर्स की इन्वेस्टमेंट की है। अकेले रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए हमने पिछले 20 सालों में करीब 5 बिलियन डॉलर्स खर्च किए हैं। एक सिंगल माराना 1 चिप को बनाने की लागत अभी करीब 1 मिलियन डॉलर्स है, क्योंकि इसके लिए हाई-प्रिसिशन मैन्युफैक्चरिंग और एक्सट्रीम कूलिंग सिस्टम्स की ज़रूरत पड़ती है। लेकिन जैसे-जैसे हम इसे स्केल करेंगे, लागत कम होगी। हमारा टारगेट है कि 2030 तक एक चिप की मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट को 10,000 डॉलर्स तक लाया जाए।
इंडस्ट्री के लिए इसकी वैल्यू अनमोल है। मिसाल के तौर पर, हेल्थकेयर में एक नई दवा की डिस्कवरी में आज 2-3 बिलियन डॉलर्स और 10 साल लगते हैं। माराना 1 इस प्रोसेस को कुछ महीनों और कुछ मिलियन डॉलर्स तक ला सकता है। इसी तरह, AI और साइबर सिक्योरिटी में भी ये चिप अरबों डॉलर्स की वैल्यू क्रिएट कर सकती है।
इंडस्ट्री पार्टनरशिप्स: माइक्रोसॉफ्ट के सहयोगी
माराना 1 को डेवलप करने में हमने कई इंडस्ट्री और एकेडमिक पार्टनर्स के साथ कोलैबोरेशन किया है:
- UC सांता बारबरा: टोपोलॉजिकल कंडक्टर्स की थ्योरेटिकल रिसर्च में उनकी टीम ने हमारी मदद की।
- डेल्फ्ट यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (नीदरलैंड्स): मेजराना पार्टिकल्स को प्रायोगिक तौर पर डिटेक्ट करने में इनका योगदान रहा।
- क्वांटम हार्डवेयर स्टार्टअप्स: हमने Quantinuum और IonQ जैसी कंपनियों के साथ टेक्नोलॉजी शेयरिंग की है।
- Azure पार्टनर्स: Azure डेटा सेंटर्स में इस चिप को डिप्लॉय करने के लिए हमने कई टेक कंपनियों के साथ पार्टनरशिप की है।
इसके अलावा, हमने ग्लोबल फाउंड्रीज़ (GlobalFoundries) के साथ मिलकर चिप मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस को ऑप्टिमाइज़ किया है, ताकि इसे बड़े स्केल पर प्रोड्यूस किया जा सके।
चुनौतियां और आलोचनाएं
हर नई टेक्नोलॉजी की तरह, माराना 1 को भी कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ साइंटिस्ट्स और रिसर्चर्स ने हमारी इस खोज पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि मेजराना ज़ीरो मोड्स को प्रूव करना और टोपोलॉजिकल क्यूबिट्स की स्टेबिलिटी को स्केल करने में अभी और रिसर्च की ज़रूरत है। कुछ का मानना है कि हमारी टेक्नोलॉजी अभी सुपरकंडक्टिंग क्यूबिट्स (जो गूगल और IBM यूज करते हैं) से 20-30 साल पीछे है। लेकिन हम इन आलोचनाओं को एक पॉजिटिव तरीके से लेते हैं। हमने नेचर जर्नल में अपनी रिसर्च पब्लिश की है, जो करीब एक साल की रिव्यू के बाद अप्रूव हुई है। और हम जल्द ही और डेटा शेयर करने वाले हैं, जो इन सवालों का जवाब देगा।
एक और चैलेंज है T-गेट ऑपरेशन में एरर करेक्शन। भले ही हमारे क्यूबिट्स स्टेबल हों, लेकिन T-गेट ऑपरेशन में अभी भी कुछ एरर्स आते हैं। लेकिन ये एरर्स ट्रेडिशनल क्यूबिट्स की तुलना में बहुत आसानी से करेक्ट किए जा सकते हैं। हम इस पर काम कर रहे हैं, और हमें यकीन है कि अगले कुछ सालों में ये प्रॉब्लम भी सॉल्व हो जाएगी।
भविष्य की रोडमैप
हमारा अगला कदम है माराना 1 को स्केल करना। अभी हमने 8 क्यूबिट्स वाली चिप बनाई है, लेकिन हमारा टारगेट है कि 2028 तक हम 1,000 लॉजिकल क्यूबिट्स वाली चिप बना लें, और 2030 तक 1 मिलियन क्यूबिट्स वाली चिप। हम इसे Azure Quantum के ज़रिए थर्ड पार्टीज़ को टेस्टिंग के लिए भी उपलब्ध कराएंगे। हमारा सपना है कि क्वांटम कंप्यूटिंग को हर इंडस्ट्री में इंटीग्रेट किया जाए, ताकि वो प्रॉब्लम्स सॉल्व हो सकें जो आज असंभव लगते हैं।
इसके अलावा, हम क्वांटम सॉफ्टवेयर स्टैक भी डेवलप कर रहे हैं, जो AI और क्लासिकल कंप्यूटिंग के साथ इंटीग्रेट हो सके। हमारा मानना है कि क्वांटम कंप्यूटिंग का असली फायदा तब होगा, जब ये टेक्नोलॉजी हाइब्रिड सिस्टम्स में काम करेगी।
कुछ मज़ेदार फैक्ट्स जो आपको पता नहीं होंगे
माराना 1 के बारे में कुछ ऐसी बातें जो हमने पहले नही
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