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नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास, विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जीता स्वर्ण पदक|| neraj chopda| golden boy of India

नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास, विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में जीता स्वर्ण पदक|| neraj chopda| golden boy of India

गोल्डन बॉय ऑफ इंडिया 

भारत के नीरज चोपड़ा ने हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में चल रही विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पुरुषों की भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। उन्होंने दूसरे राउंड में 88.17 मीटर के थ्रो के साथ गोल्ड मेडल पर कब्जा जमा लिया।



चोपड़ा ने अपने पहले प्रयास में 86.67 मीटर का थ्रो किया। दूसरे प्रयास में उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ थ्रो फेंका, जिसकी दूरी 88.17 मीटर थी। यह दूरी न केवल विश्व चैंपियनशिप में ही नही, बल्कि ओलंपिक और विश्व जूनियर चैंपियनशिप में भी सबसे लंबी है। 


चोपड़ा के इस प्रदर्शन से भारतीय खेल जगत में खुशी की लहर दौड़ गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर सहित तमाम नेताओं और खिलाड़ियों ने चोपड़ा को बधाई दी।


चोपड़ा का यह प्रदर्शन भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। वह किसी भी एथलेटिक्स अनुशासन में विश्व चैंपियन बनने वाले पहले भारतीय हैं। चोपड़ा ने पहले भी कई उपलब्धियां हासिल की हैं, जिनमें 2020 टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना भी शामिल है।


चोपड़ा का जन्म 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के पानीपत जिले में हुआ था। उन्होंने बचपन से ही भाला फेंक में रुचि दिखाई और जल्द ही राष्ट्रीय स्तर के एक प्रतिभाशाली खिलाड़ी बन गए।

चोपड़ा की कामयाबी

चोपड़ा ने 2016 में जूनियर विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर दुनिया भर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। उन्होंने 2018 में एशियाई खेलों में भी स्वर्ण पदक जीता।


चोपड़ा के लिए 2020 टोक्यो ओलंपिक एक बड़ी चुनौती थी। उन्होंने इस टूर्नामेंट में 87.58 मीटर का थ्रो कर स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया।


चोपड़ा का विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना एक बड़ी उपलब्धि है। इससे यह साबित हो गया है कि वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ भाला फेंकने वालों में से एक हैं। चोपड़ा का आने वाले वर्षों में भी कई और उपलब्धियां हासिल करने की उम्मीद है।


**चोपड़ा की सफलता के कारण**


नीरज चोपड़ा की सफलता के कई कारण हैं। इनमें शामिल हैं:


* उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण: चोपड़ा ने अपने करियर में कभी भी कोई कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने हमेशा कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ प्रशिक्षण लिया है।

* उनके शानदार कौशल: चोपड़ा एक बहुत ही प्रतिभाशाली भाला फेंकने वाले हैं। उनके पास इस खेल में महारत हासिल करने के लिए सभी आवश्यक कौशल हैं।

* उनके कोच का मार्गदर्शन: चोपड़ा ने अपने कोच, उवे हॉन के मार्गदर्शन में अभ्यास किया है। हॉन एक विश्व प्रसिद्ध भाला फेंक कोच हैं, और उनके मार्गदर्शन ने चोपड़ा को एक बेहतर खिलाड़ी बनने में मदद की है।


**चोपड़ा की जीत से प्रेरणा**

नीरज चोपड़ा की जीत से भारतीय खेल जगत में एक नई उम्मीद जगी है। यह दिखाता है कि भारत के खिलाड़ी भी किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। चोपड़ा की जीत से अन्य खिलाड़ियों को भी प्रेरणा मिलेगी, और वे भी अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे।

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