मिथिला की धरोहर: मधुबनी में बैलगाड़ी पर निकली पारंपरिक बारात
आधुनिकता के युग में भी जीवित है मिथिला की संस्कृति, मधुबनी में बैलगाड़ी पर निकली बारात
20 बैलगाड़ियों में सवार होकर 150 बाराती पहुंचे दुल्हन के घर
आधुनिकता के युग में परंपरा का जश्न
हम सब जानते हैं कि आधुनिक समय में शादियों का स्वरूप बहुत बदल गया है। महंगी गाड़ियों, भव्य वेन्यूज़ और विस्तृत मेहमान सूची ने शादियों को एक नए आयाम प्रदान किया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मिथिला क्षेत्र के मधुबनी जिले में अभी भी पारंपरिक तरीके से बारात निकाली जाती है?
हाँ, आप सही पढ़ रहे हैं! जयनगर प्रखंड के बेलही गांव में एक ऐसी बारात देखने को मिली, जिसने लोगों को हैरान कर दिया। आधुनिकता के इस युग में, जब लोग अपने शादी समारोहों को भव्य और आधुनिक बनाने में लगे हैं, एक परिवार ने अपनी संस्कृति और परंपराओं का गौरव बनाए रखा।
बैलगाड़ी पर सजी-धजी बारात
रविवार को, सूर्य यादव ने अपने छोटे बेटे पुंद्र यादव की शादी में बारात लेकर जाने का फैसला किया। लेकिन उन्होंने आधुनिक वाहनों को नहीं चुना, बल्कि परंपरागत बैलगाड़ियों का सहारा लिया। दर्जनों बैलगाड़ियों को दुल्हन की तरह सजाकर, मिथिला की रीति-रिवाज और गीत-संगीत के साथ, एक अनोखी बारात बनाई।
इस बारात में लगभग 150 बारातियों को 20 बैलगाड़ियों में बिठाया गया था। ये बैलगाड़ियां शादी वाले घर के रिश्तेदारों और गांव के ग्रामीणों से मंगाई गई थीं, जिन्हें खूब सजा-धजा गया था। इस दौरान, बच्चे भी बैलगाड़ियों पर बैठे हुए थे, जो पहली बार ऐसा अनुभव कर रहे थे और बेहद खुश दिख रहे थे।
लोगों का उत्साह और आकर्षण
जब यह बारात गांव से होते हुए हाईवे पर पहुंची, तो लोगों की भीड़ लग गई। सभी लोग इस अनूठे नज़ारे को देखने के लिए उत्सुक थे। कई लोग तस्वीरें भी लेने लगे, क्योंकि ऐसा दृश्य देखने को मिलना बहुत ही दुर्लभ था।
बारातियों ने भी इस अनूठे अंदाज़ का भरपूर आनंद लिया। वे डीजे के धुन पर बैलगाड़ियों पर ही थिरकते नज़र आए। गांव में भी लोगों ने इस पारंपरिक बारात का पारंपरिक अंदाज़ में स्वागत किया।
परंपरा का संरक्षण और आधुनिकता का समन्वय
यह दृश्य हमें याद दिलाता है कि हमारी संस्कृति और परंपराएं अभी भी जीवित हैं। सूर्य यादव जैसे लोग, जो अपनी संस्कृति का ख्याल रखते हैं, वे आधुनिकता और परंपरा का सुंदर समन्वय कर पा रहे हैं।
आज के समय में, जहां लोग अपनी शादियों को भव्य और आधुनिक बनाने में लगे हैं, वहीं मधुबनी के इस परिवार ने अपने पारंपरिक मूल्यों को बनाए रखा है। यह हमें याद दिलाता है कि हमारी संस्कृति और परंपराएं हमारी पहचान का एक अभिन्न अंग हैं, जिन्हें हमें सुरक्षित रखना चाहिए।
मधुबनी की यह बारात हमें यह संदेश देती है कि हम अपनी संस्कृति और परंपराओं को आधुनिकता के साथ संतुलित करके रख सकते हैं। यह दृश्य हमें याद दिलाता है कि हमारी पहचान हमारी जड़ों में निहित है, और हमें उन्हें सुरक्षित रखना चाहिए। यह बारात न केवल एक सुंदर दृश्य था, बल्कि हमारी समृद्ध विरासत को भी प्रदर्शित करता था।
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