जब बेटी घर छोड़ कर भाग जाती है
एक टूटे हुए बाप की कहानी
श्याम एक साधारण आदमी था। उसकी एक बेटी थी, रिया, जिससे वह बहुत प्यार करता था। रिया एक खुशमिजाज लड़की थी, हमेशा हंसती-मुस्कुराती रहती थी। श्याम के लिए रिया दुनिया की सबसे अनमोल चीज थी।
लेकिन एक दिन, सब कुछ बदल गया। रिया घर से भाग गई। किसी को नहीं पता था कि वह क्यों गई, या कहाँ गई। श्याम को अपनी बेटी के बारे में कोई खबर नहीं मिली।
धीरे-धीरे, श्याम टूटने लगा। उसने अपना घर बंद कर दिया और बाहर निकलना बंद कर दिया। वह दिन-रात रिया के बारे में सोचता रहता था।
अगर कोई उससे बात करता, तो वह डर जाता था कि कहीं रिया का नाम न आ जाए। वह किसी से भी आँख नहीं मिलाता था।
श्याम एक जिंदा लाश बन गया था। उसकी आँखों में हमेशा दुख रहता था।
एक दिन, श्याम को रिया की एक तस्वीर मिली। तस्वीर में रिया एक गंदे कपड़े पहने हुए थी, और उसकी आँखों में दर्द था।
श्याम को अपनी बेटी की हालत देखकर और भी ज्यादा दुख हुआ। उसने तय किया कि वह रिया को ढूंढकर लाएगा।
श्याम ने रिया की तलाश में पूरा देश घूम लिया। उसने कई लोगों से पूछताछ की, लेकिन कोई भी उसे रिया के बारे में कोई जानकारी नहीं दे पाया।
कई साल बीत गए, लेकिन श्याम ने हार नहीं मानी। वह रिया को ढूंढने के लिए दृढ़ था।
एक दिन, श्याम को एक शहर में रिया के बारे में जानकारी मिली। वह तुरंत उस शहर के लिए रवाना हो गया।
श्याम ने रिया को एक छोटे से रेस्तरां में काम करते हुए देखा। रिया बहुत कमजोर और उदास दिख रही थी।
श्याम रिया के पास गया और उसे गले लगा लिया। रिया रोने लगी।
श्याम ने रिया को घर वापस लाया। रिया ने अपने पिता को बताया कि वह घर से क्यों भाग गई थी।
रिया ने बताया कि वह अपने पिता के सख्त नियमों से तंग आ चुकी थी। वह स्वतंत्र होना चाहती थी।
श्याम ने रिया की बात सुनी और उसे माफ कर दिया। उसने रिया से वादा किया कि वह अब उसे कभी भी नियंत्रित नहीं करेगा।
रिया और श्याम फिर से खुशी-खुशी रहने लगे। श्याम ने रिया को अपनी गलतियों का एहसास हो गया।
श्याम की कहानी हमें सिखाती है कि बच्चों को प्यार और सम्मान से समझाना चाहिए। उन्हें डराकर या नियंत्रित करके नहीं रखना चाहिए।
बच्चों को स्वतंत्रता और जिम्मेदारी का संतुलन सिखाना भी महत्वपूर्ण है।
यह कहानी सभी बेटियों से भी अपील करती है कि वे कभी भी घर से न भागें। अगर उन्हें कोई समस्या है, तो उन्हें अपने माता-पिता से बात करनी चाहिए।
माता-पिता और बच्चों के बीच खुला संवाद महत्वपूर्ण है।
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