झांसी की रानी का दाहिना हाथ: वीरांगना झलकारी बाई
क्या आप जानते हैं झांसी की रानी की सेना में एक ऐसी योद्धा थी जिसने अंग्रेजों को पस्त किया?
वीरांगना झलकारी बाई: एक महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानीवी
रांगना झलकारी बाई एक महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी थीं, जिन्होंने 1857 के भारतीय विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की सेना में एक सैनिक थीं और उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ कई लड़ाइयों में भाग लिया था।
झलकारी बाई का जन्म 1830 के दशक में झांसी के एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता एक किसान थे और उनकी मां एक गृहिणी थी। झलकारी बाई बचपन से ही एक मजबूत और साहसी लड़की थीं। उन्हें घुड़सवारी, तलवारबाजी और निशानबाजी में महारत हासिल थी।
जब 1857 में भारतीय विद्रोह शुरू हुआ, तो झलकारी बाई ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की सेना में शामिल हो गईं। उन्होंने कई लड़ाइयों में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और उनकी बहादुरी के लिए उन्हें "झलकारी बाई" नाम दिया गया।
झलकारी बाई की सबसे प्रसिद्ध लड़ाई 1858 में झांसी के किले में हुई थी। अंग्रेजों ने किले पर हमला किया और झलकारी बाई ने उन्हें रोकने के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने अंग्रेजों के कई सैनिकों को मार गिराया और उन्हें किले से बाहर निकालने में सफल रहीं।
झलकारी बाई की बहादुरी के लिए उन्हें झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने सम्मानित किया। उन्हें "वीरांगना" की उपाधि दी गई और उन्हें सेना में एक उच्च पद दिया गया।
झलकारी बाई 1858 में अंग्रेजों के साथ एक लड़ाई में मारी गईं। उनकी मृत्यु से झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को गहरा सदमा लगा और उन्होंने बदला लेने की कसम खाई।
झलकारी बाई एक महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी थीं। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनकी बहादुरी को हमेशा याद किया जाएगा।
झलकारी बाई के बारे में कुछ रोचक तथ्य:
- झलकारी बाई का जन्म 1830 के दशक में झांसी के एक गरीब परिवार में हुआ था।
- उनके पिता एक किसान थे और उनकी मां एक गृहिणी थी।
- झलकारी बाई बचपन से ही एक मजबूत और साहसी लड़की थीं।
- उन्हें घुड़सवारी, तलवारबाजी और निशानबाजी में महारत हासिल थी।
- 1857 में भारतीय विद्रोह शुरू होने पर, झलकारी बाई ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की सेना में शामिल हो गईं।
- उन्होंने कई लड़ाइयों में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और उनकी बहादुरी के लिए उन्हें "झलकारी बाई" नाम दिया गया।
- झलकारी बाई की सबसे प्रसिद्ध लड़ाई 1858 में झांसी के किले में हुई थी। उन्होंने अंग्रेजों के कई सैनिकों को मार गिराया और उन्हें किले से बाहर निकालने में सफल रहीं।
- झलकारी बाई की बहादुरी के लिए उन्हें झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने सम्मानित किया। उन्हें "वीरांगना" की उपाधि दी गई और उन्हें सेना में एक उच्च पद दिया गया।
- झलकारी बाई 1858 में अंग्रेजों के साथ एक लड़ाई में मारी गईं।
- उनकी मृत्यु से झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को गहरा सदमा लगा और उन्होंने बदला लेने की कसम खाई।
- झलकारी बाई एक महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी थीं। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनकी बहादुरी को हमेशा याद किया जाएगा।
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